कुंवर अजय सिंह विधि महाविद्यालय, ललऊ खेड़ा (डीह)उन्नाव-209801

पुस्तकालय एवं वाचनालय

विधि महाविद्यालय में एलएल0बी0 एवं बी0ए0एलएल0बी0 के लिये पुस्तकालय की व्यवस्था है। यह सभी नामांकित विद्यार्थियों के लिये उपलब्ध है। पुस्तकालय संस्थान के छात्रों और कर्मचारियों के बौद्धिक उन्नयन का प्रमुख केन्द्र है। पुस्तकालय महाविद्यालय में भूतल पर लगभग 1500 वर्ग फुट में स्थित है यहां प्रकाश की पर्याप्त व्यवस्था एवं आरामदायक वातावरण है। सुसज्जित पुस्तकालय विधि महाविद्यालय का हृदय है, शैक्षणिक एवं पाठ्यक्रम से संबंधित अन्य गतिविधियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। पुस्तकालय विधिक अनुसंधान मार्गदर्शन के साथ विद्यार्थी समुदाय को महत्वपूर्ण सहयोग प्रदान करता है। पुस्तकालय में पढ़ने व पुस्तकंे निर्गत करवाने के नियम निम्न प्रकार हैंः-

1. क) महाविद्यालय में प्रत्येक विद्यार्थी एक बार में केवल दो ही पुस्तकें प्राप्त कर सकता है।

ख) पुस्तकें बहुमूल्य हैं क्योंकि इनमें ज्ञान धन संचित है। छात्रों को अध्ययनार्थ प्रदान की जायेंगी। जब विद्यार्थी समस्त नियमों का अनुपालन करते हुये महाविद्यालय में प्रवेश प्राप्त कर लेता है। प्रोफेसर इंचार्ज की अनुमति से पुस्तकालय में अध्ययन हेतु सक्षम होगा।

ग) पुस्तकालय में प्रवेश करते समय प्रत्येक विद्यार्थी अपने साथ परिचय पत्र एवं पुस्तकालय कार्ड अवश्य रखें अन्यथा पुस्तकालय में प्रवेश वर्जित है।

घ) कार्ड में पुस्तक लेने के लिये विद्यार्थी द्वारा पुस्तकालयाध्यक्ष को एक दिन पूर्व सूचित करना पड़ेगा। प्रत्येक विद्यार्थी का पुस्तकालय में नामांकन आवश्यक है।

ड.) विद्यार्थी के लिये पुस्तकालय प्रातः 9ः30 से सायं 4ः00 बजे तक खुला रहेगा।

2. पुस्तकालय से प्राप्त पुस्तकों के रख-रखाव एवं समय पर वापसी का दायित्व विद्यार्थी पर है।

3. पुस्तकालय से प्राप्त पुस्तकें अधिकतम 07 दिन तक विद्यार्थी रख सकेगा इसके उपरान्त पुस्तकालयाध्यक्ष की अनुमति के बगैर दण्डात्मक होगा।

4. यदि पुस्तक क्षतिग्रस्त हो जाती है या पुस्तक को किसी प्रकार का कोई नुकसान होता है तो पुस्तक के मूल्य का एक चैथाई पुस्तक के साथ पुस्तकालय में जमा करना होगा।

5. यदि पुस्तक खो जाती है तो पुस्तकालय के नियमानुसार कार्यवाही की जायेगी। पुस्तकालय के नियम का अनुपालन पुस्तकालयाध्यक्ष एवं पुस्तक धारक द्वारा कठोरता से किया जाना चाहिये।

6. पुस्तकालय में शांति व्यवस्था बनाये रखना आपका परम कर्तव्य है।